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एक कदम खुशहाल जिंदगी की ओर.. Early Intervention Program

किसी भी आँगन में बच्चे की किलकारी अपने साथ ढेरों खुशियां और उम्मीदें साथ लेकर आती हैं. परन्तु कभी- कभी इन सारी खुशियां को ग्रहण-सा लग जाता है जब बच्चा किसी विशेष प्रकार की जन्मजात (अनुवांशिक ) या जन्म उपरांत किन्ही कारणों से शारीरिक या मानसिक व्याधियों से ग्रसित हो जाता है. विभिन्न प्रकार की ये रोग बच्चे की सामान्य ग्रोथ और डेवलपमेंट को भी एफेक्ट करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित बच्चा देर से बोलना, चलना, समझना सीखता है.  पहले जहाँ इस प्रकार की व्याधियों को आइडेंटिफाई एवं डायग्नोज़ करने में काफी लम्बा समय लगता था, वहीं आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से आज गर्भावस्था से लेकर शिशु के जन्म लेने तक और उसके पश्चयात भी इन व्याधियों का अर्ली इस्टेजेस में ही पता लगाया जा सकता है. अर्ली इंटरवेन्शन प्रोग्राम  अर्थात शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप, इसी प्रकार का विशेष पहचान एवं निदान कार्यक्रम है जो उन बच्चों की पहचान में सहायक होता है जिनमे शारीरिक या मानसिक अक्षमताओं के लक्षण हो.  Bringing families together (image credit: thehindu) The primary goal of Early Interve...

मुझे नींद न आए..! Dealing And Overcoming Stress

Relax n Unwind, Take a Deep Breath n Enjoy Life ( image credit happymetime) Today ,We are living in a world full of comfort n luxuries, yet sometimes we feel so much stressed out. Whether it will be work-pressure, aspirations, relation-ship issues, or other private/public grievances, every second person is going through some or other form of stress. तेज़ी से बदलती हुई जीवनशैली एवं स्मार्ट लाइफ-स्टाइल  ने  मनुष्य को तमाम तरह की भौतिक सुख-सुविधाओं का अम्बार दिया है. इन सब आधुनिक उपकरणों के द्वारा हमारे कितने ही काम पल-भर में एक साथ पूर्ण हो जाते हैं, और हमे तुलनात्मक रूप से कम  शारीरिक और मानसिक श्रम करना पड़ता है.  According to an estimate, nearly 350 million people of different age groups are suffering from stress.   जब हमारा शरीर/ मन कुछ ऐसे इस्टिम्युली के संपर्क में आता है जो हमारे शारीरिक /मानसिक संतुलन को एफेक्ट करते है, तब ये सारे तत्त्व मिलकर तनाव को जन्म देते हैं.  Stress is the body’s reaction to any stimuli...

जाने कहाँ गए वो दिन..!!! The Agony of Parkinson's Disease

Parkinson's disease affects the overall persona ( image credit deviantart) पार्किंसन'स रोग  तंत्रिका  तंत्र  को  जीर्ण  करने  वाला  एक  डिजनरेटिव  डिजीज  है  जिसमे  अफ्फेक्टेड  व्यक्ति  के  मस्तिष्क  के  भीतर  मौजूद  न्यूरॉन्स  डोपामिन  नमक  एक  आवशयक  न्यूरो-ट्रांसमीटर  को  बनाने  में  असक्रिय  हो  जाते  हैं , जिसके  फलस्वरूप  अफ्फेक्टेड व्यक्ति    की   मोटर  एक्टिविटीज  ( शारीरिक  संतुलन ) कम हो  जाती  हैं . brain areas affected in parkinson's (image credit: gosouthonline) पार्किंसन'स सामान्यतः  वरिष्ठों  में  होने  वाले  रोगो  के  अंतर्गत  अत  है , जिसके  लक्षण  50 से  60 वर्ष  की  आयु  के  बीच  परिलक्षित  होते  हैं .  लक्षण/ Signs-Symptoms : ...

लागी छूटे ना..!!! The Mechanism of Addiction...

क्या होता है मन-मस्तिष्क के भीतर जब हो जाता है कोई एडिक्टेड.... Addiction takes over the mind  (image credit winecellarage) एडिक्शन या आसक्ति( लत/व्यसन) वह अवस्था कहलाती है जब कोई इंसान किसी ऐसी वस्तु या क्रियाओं को बार-बार लगातार करना चाहता है, जिससे उसे आनंद की अनुभूति होती है. परन्तु यही दोहराव  कुछ समय के बाद उस व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को पूरी तरह प्रभावित करते हुए उसकी नार्मल लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव डालतीं हैं.  Usually, people with an addiction do not have control over what they are doing, taking or using. सामान्यतः आनंद की अनुभूति से प्रारम्भ होकर ये लत इंसान की कमजोरी बनकर उसकी शारीरिक , मानसिक, सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन को बुरी तरह एफेक्ट करती है, परिणामस्वरूप उसकी कार्यशीलता भी कम हो जाती है. एडिक्शन के शिकार व्यक्ति हो इस बात का भान ही नही होता है, और धीरे-धीरे उसका संपूर्ण व्यक्तित्व ही परिवर्तित हो जाता है.  When a person is addicted to something they cannot control how they use it, and become dependent on i...

Decoding the Confusion: Dyslexia

Dyslexia: the confusion within  (image credit : medicalnewstoday) Dyslexia also known as Reading Disability, is a common learning disorder in children. It is characterized by difficulty in reading due to problems identifying speech sounds and learning how they relate to letters and words.  Diagnosis of Dyslexia is based on signs/symptoms related to reading/ learning n academic performance of the children. डिस्लेक्सिया के कुछ प्रमुख लक्षण :  १ से ६ वर्ष की आयु में:   dyslexia affects early speech development (image credit : momjunction) देर से बोलना सीखना,  नए शब्दों को सीखने/बोलने में दिक्कत,  कविताएं सुनाने में अटकना,  वाणी अस्पष्ट होना.  ६ से १५ वर्ष आयु में :   अपनी आयु के समान बच्चो से पढ़ाई में पिछड़ना,  स्पेलिंग (शब्दार्थ) लिखते समय गलती करना, लिखावट (हैंड-राइटिंग) अस्पष्ट होना,  सुनी गई बात को समझने और रिप्लाय (उत्तर) देने में परेशानी,  त्वरित न...

Water for Development

Save water today for a better tomorrow  (pic source: google images) विश्व जल सप्ताह     २३ - २८ अगस्त  जल, जीवन की ज्योति, जल बिना जीवन की कल्पना करना भी कठिन है. न सिर्फ मनुष्यों अपितु समस्त प्राणियों एवं जीव- जंतुओं की उत्तरजीविता (सर्वाइवल) के लिए भी पानी की उपस्थिति अनिवार्य है.  पानी न सिर्फ हमारे कंठ को तृप्त करता है, अपितु पानी पर ही हमारी समस्त भौतिक अवशकताएं, हमारा भोजन, हमारी ऊर्जा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारा इकोसिस्टम आश्रित है.  Water is at the core of sustainable development and is critical for socio-economic development, healthy ecosystems and for human survival itself. It is vital for reducing the global burden of disease and improving the health, welfare and productivity of populations. समय के साथ बढ़ती हुए आबादी, घटते हुए जंगल एवं प्राकृतिक जल-स्रोतों का गिरता हुआ स्तर चिंता का विषय है. एक अनुमान के अनुसार आज समस्त विश्व के अनेकों क्षेत्रों में करीब ७४८ करोड़ लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध नही ह...

Dealing with Dementia: Understanding Symptoms

डिमेंशिया मस्तिष्क की क्षमता को प्रभावित करने वाली स्थिति होती है, जिसमे पीड़ित व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता एवं स्मरण शक्ति का ह्रास होता है.   Dementia affects complete personality of individual (pic source google images) डिमेंशिया स्वयं एक बीमारी न होकर मस्तिष्क  को एफेक्ट करने वाली कई अन्य बिमारियों का लक्षण मात्र होती है (जैसे एल्ज़ीमर्स डिसीज़ या पार्किंसन डिसीज़).  एब्नार्मल प्रोटीन्स से बनी हुई प्लाक मस्तिस्क में मौजूद नर्व सेल्स को डेड कर देती है, जिससे दिमाग में सिकुड़न होने लगती है, जो सूचनाओं को प्रवाहित करने वाले नर्व सेल्स को एफेक्ट करती है.  इस अवरुद्धता के कारण पीड़ित व्यक्ति की सोचने एवं याद रखने की शक्ति कम होती जाती है.जब ये हिप्पोकैम्पस एरिया पर आघात करती है तब इंसान नयी याददाश्त नही बना पाता है ( अर्थात तब किसी भी प्रकार का सीखा गया नविन कार्य इंसान भूल जाता है, क्यूंकि दिमाग उन निर्देशों को स्टोर नही कर पता है). डिमेंशिया  कई प्रकार का होता है, जैसे एल्ज़ीमर्स, वैस्कुलर, फ़्रन्टो-टेम्पोरल, वेर्निक-को...