Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2015

जाने कहाँ गए वो दिन..!!! The Agony of Parkinson's Disease

Parkinson's disease affects the overall persona ( image credit deviantart) पार्किंसन'स रोग  तंत्रिका  तंत्र  को  जीर्ण  करने  वाला  एक  डिजनरेटिव  डिजीज  है  जिसमे  अफ्फेक्टेड  व्यक्ति  के  मस्तिष्क  के  भीतर  मौजूद  न्यूरॉन्स  डोपामिन  नमक  एक  आवशयक  न्यूरो-ट्रांसमीटर  को  बनाने  में  असक्रिय  हो  जाते  हैं , जिसके  फलस्वरूप  अफ्फेक्टेड व्यक्ति    की   मोटर  एक्टिविटीज  ( शारीरिक  संतुलन ) कम हो  जाती  हैं . brain areas affected in parkinson's (image credit: gosouthonline) पार्किंसन'स सामान्यतः  वरिष्ठों  में  होने  वाले  रोगो  के  अंतर्गत  अत  है , जिसके  लक्षण  50 से  60 वर्ष  की  आयु  के  बीच  परिलक्षित  होते  हैं .  लक्षण/ Signs-Symptoms : पार्किंसन'स रोग  से  पीड़ित  व्यक्तियों  के  लक्षण  अलग -अलग  हो  सकते  हैं , परन्तु   लगभग  सभी  केसेस  में  4 मुख्य कार्डिनल  साइंस  शुरुवाती इस्टेजेस  में  दिखाई  देती  हैं , वे  हैं  - - ट्रेमर्स  (हाथों , पैरों , चेहरे , जबड़े  पर  कम्पन /कंपकपी होना ) - रीजीडीटी /स्टिफ

लागी छूटे ना..!!! The Mechanism of Addiction...

क्या होता है मन-मस्तिष्क के भीतर जब हो जाता है कोई एडिक्टेड.... Addiction takes over the mind  (image credit winecellarage) एडिक्शन या आसक्ति( लत/व्यसन) वह अवस्था कहलाती है जब कोई इंसान किसी ऐसी वस्तु या क्रियाओं को बार-बार लगातार करना चाहता है, जिससे उसे आनंद की अनुभूति होती है. परन्तु यही दोहराव  कुछ समय के बाद उस व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को पूरी तरह प्रभावित करते हुए उसकी नार्मल लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव डालतीं हैं.  Usually, people with an addiction do not have control over what they are doing, taking or using. सामान्यतः आनंद की अनुभूति से प्रारम्भ होकर ये लत इंसान की कमजोरी बनकर उसकी शारीरिक , मानसिक, सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन को बुरी तरह एफेक्ट करती है, परिणामस्वरूप उसकी कार्यशीलता भी कम हो जाती है. एडिक्शन के शिकार व्यक्ति हो इस बात का भान ही नही होता है, और धीरे-धीरे उसका संपूर्ण व्यक्तित्व ही परिवर्तित हो जाता है.  When a person is addicted to something they cannot control how they use it, and become dependent on it to cope with dail

Decoding the Confusion: Dyslexia

Dyslexia: the confusion within  (image credit : medicalnewstoday) Dyslexia also known as Reading Disability, is a common learning disorder in children. It is characterized by difficulty in reading due to problems identifying speech sounds and learning how they relate to letters and words.  Diagnosis of Dyslexia is based on signs/symptoms related to reading/ learning n academic performance of the children. डिस्लेक्सिया के कुछ प्रमुख लक्षण :  १ से ६ वर्ष की आयु में:   dyslexia affects early speech development (image credit : momjunction) देर से बोलना सीखना,  नए शब्दों को सीखने/बोलने में दिक्कत,  कविताएं सुनाने में अटकना,  वाणी अस्पष्ट होना.  ६ से १५ वर्ष आयु में :   अपनी आयु के समान बच्चो से पढ़ाई में पिछड़ना,  स्पेलिंग (शब्दार्थ) लिखते समय गलती करना, लिखावट (हैंड-राइटिंग) अस्पष्ट होना,  सुनी गई बात को समझने और रिप्लाय (उत्तर) देने में परेशानी,  त्वरित निर्देशों को समझ नही पाना,  किसी भी क्रिया को करने की प्र