कौन नही चाहता स्वस्थ रहना... वाकिंग, जॉगिंग, पुश-अप्स, डाइटिंग, जिमिंग,डांसिंग, और न जाने कितनी तरह के जतन करते हैं लोग आजकल हेल्दी रहने की लिए... पर क्या आपने कभी सोचा है की ये सभी सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य या कहें फिजिकल अपियरेंस पर ही ज्यादा फोकस्ड होता है. कोई भी सामान्य इंसान अपने भौतिक रंग-रूप एवं फिजिक की प्रॉब्ल्म्स को खुलकर शेयर कर लेता है, परंतु जब बात आती है साइकोलॉजिकल प्रॉब्ल्म्स की, तब वही इंसान अपने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ओपनली अपने मित्रों या इष्टजनों से डिस्कस करने से भी कतराता है.
According to a recent study, it has been estimated that nearly 50 millions Indians r suffering from one or other type of Mental Health related issues/disorders. Since ages, Mental Health issues have many stigmas attached, & people along with their families have to face a lot of discrimination & isolation due lack of awareness about it's proper management.
"World Mental Health Day" has been observed every year on 10th of October in order to raise awareness about the importance of mental well-being of a person n to abolish the taboos associated with mental health disorders.
The theme for this year is "Mental Health In An Unequal World" which highlights that access to mental health services remains unequal, with between 75% to 95% of people with mental disorders in low- and middle-income countries unable to access mental health services at all, and access in high income countries is not much better.
मानसिक बीमारी से ग्रस्त बहुत से लोगों को वह उपचार नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं और जिसके वे हकदार हैं और अपने परिवारों और देखभाल करने वालों के साथ मिलकर कलंक और भेदभाव का अनुभव करना जारी रखते हैं। 'हैव' और 'नहीं है' के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है और मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले लोगों की देखभाल की निरंतर आवश्यकता है।
शोध के साक्ष्य से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले लोगों को प्रदान की जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता में कमी है। मानसिक बीमारी के लिए चिकित्सा, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक उपचार में 15 साल तक लग सकते हैं, जो अच्छी गुणवत्ता वाले शोध अध्ययनों में काम करने के लिए दिखाए गए हैं, रोगियों को दैनिक अभ्यास में उनकी आवश्यकता होती है।
मानसिक अस्वस्थता का अनुभव करने वाले लोगों द्वारा अनुभव किया गया कलंक और भेदभाव न केवल उस व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, कलंक उनके शैक्षिक अवसरों, वर्तमान और भविष्य की कमाई और नौकरी की संभावनाओं को भी प्रभावित करता है, और उनके परिवारों और प्रियजनों को भी प्रभावित करता है। इस असमानता को दूर करने की जरूरत है क्योंकि इसे जारी नहीं रहने दिया जाना चाहिए। इन असमानताओं को दूर करने के लिए हम सभी की भूमिका है और यह सुनिश्चित करना है कि मानसिक स्वास्थ्य के अनुभव वाले लोग जीवन के सभी पहलुओं में पूरी तरह से एकीकृत हैं।
जो लोग शारीरिक बीमारी का अनुभव करते हैं वे भी अक्सर मनोवैज्ञानिक संकट और मानसिक स्वास्थ्य कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। एक उदाहरण दृश्य हानि है। दुनिया भर में 2.2 बिलियन से अधिक लोग दृष्टिबाधित हैं, और बहुसंख्यक भी चिंता और/या अवसाद का अनुभव करते हैं और यह दृष्टिबाधित लोगों के लिए बदतर है जो प्रतिकूल सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का अनुभव करते हैं। ( Source: विश्व स्वास्थ्य संगठन)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक ४० सेकंड में १ व्यक्ति आत्महत्या करता है. While 79% of the world’s suicides occurred in low- and middle-income countries, high-income countries had the highest rate, at 11.5 per 100 000. Nearly three times as many men as women die by suicide in high-income countries.. ( from who-int)
India has the highest suicide rate in the South-East Asian region.. & third-highest female suicide rate (14.7) in the world
Mental Health Issues r Prevalent in Kids too!(machronicle) |
हमारे भारत में आज भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विषयों को लेकर कितनी ही भ्रांतियां फैली हुई है. महानगरों जहाँ फिर भी बेहतर हालात है, सबसे ज्यादा ख़राब स्तिथी छोटे शहरों एवं कस्बों की है जहाँ न इन विकारों/विषयों के प्रति लोगों में जागरूकता है और न ही किसी भी प्रकार के परामर्श-केंद्र हैं. आत्महत्या करने की बातें करने वाला कोई भी व्यक्ति सच में अपनी जीवनलीला समाप्त कर सकता है बशर्ते उसकी बातों पर ध्यान देकर हम उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करें।
Don't Pressurise Kids ( toiimg) |
We should include more n more no. of mental-health care profesionals all across our PHC's plus we can also start multiple online platforms/ self-help groups which will help to overcome mental health issues.
It is also essential that in time of distress, we shud seek help.. Let's Talk.. engage & Discuss whatever is bothering you.. Be it Your Family-Friends-Teachers or Medical Professionals.. just Speak Up.. Raise Your Voice!
Stay Strong & Never Give Up!
Dr. Pooja Pathak
for swavalambanrehab
Great tips regrading mental Health . You provided the best information which helps us a lot. Thanks for sharing the wonderful information.
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