किसी भी आँगन में बच्चे की किलकारी अपने साथ ढेरों खुशियां और उम्मीदें साथ लेकर आती हैं. परन्तु कभी- कभी इन सारी खुशियां को ग्रहण-सा लग जाता है जब बच्चा किसी विशेष प्रकार की जन्मजात (अनुवांशिक ) या जन्म उपरांत किन्ही कारणों से शारीरिक या मानसिक व्याधियों से ग्रसित हो जाता है. विभिन्न प्रकार की ये रोग बच्चे की सामान्य ग्रोथ और डेवलपमेंट को भी एफेक्ट करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित बच्चा देर से बोलना, चलना, समझना सीखता है. पहले जहाँ इस प्रकार की व्याधियों को आइडेंटिफाई एवं डायग्नोज़ करने में काफी लम्बा समय लगता था, वहीं आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की मदद से आज गर्भावस्था से लेकर शिशु के जन्म लेने तक और उसके पश्चयात भी इन व्याधियों का अर्ली इस्टेजेस में ही पता लगाया जा सकता है. अर्ली इंटरवेन्शन प्रोग्राम अर्थात शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप, इसी प्रकार का विशेष पहचान एवं निदान कार्यक्रम है जो उन बच्चों की पहचान में सहायक होता है जिनमे शारीरिक या मानसिक अक्षमताओं के लक्षण हो. Bringing families together (image credit: thehindu) The primary goal of Early Interve...
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